चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो अन्य पिछड़ा वर्ग के निर्धारित आरक्षण में से साढ़े चार प्रतिशत आरक्षण अल्पसंख्यकों को देने के फ़ैसले पर फ़िलहाल रोक लगा दे.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समेत कई विपक्षी पार्टियों ने चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार के इस फ़ैसले पर आपत्ति जताई थी.
चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा है कि जब तक पाँच राज्यों में चुनाव की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, सरकार इस फ़ैसले पर रोक लगाए.
अपने बयान में आयोग ने कहा, "आयोग के ध्यान में ये बात लाई गई है कि अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण की घोषणा आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है और आयोग को इस पर रोक लगानी चाहिए."
निर्देश
आयोग ने कहा है कि इस मुद्दे पर विचार करते समय उसने इस बात को ध्यान में रखा है कि केंद्र सरकार ने ये फ़ैसला 22 दिसंबर को आदर्श आचार संहिता लागू होने के दो दिन पहले किया था.
चुनाव आयोग ने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय को निर्देश दिया है कि 22 दिसंबर 2011 के सरकारी आदेश पत्र को पाँच राज्यों गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में प्रभावी न माना जाए, जब तक कि इन राज्यों में चुनावी प्रक्रिया नहीं पूरी हो जाती.
केंद्र सरकार के इस फ़ैसले पर कई राजनीतिक दलों ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि चुनाव तारीख़ों की घोषणा से कुछ दिन पहले की गई ये घोषणा मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समेत कई विपक्षी पार्टियों ने चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार के इस फ़ैसले पर आपत्ति जताई थी.
चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा है कि जब तक पाँच राज्यों में चुनाव की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, सरकार इस फ़ैसले पर रोक लगाए.
अपने बयान में आयोग ने कहा, "आयोग के ध्यान में ये बात लाई गई है कि अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण की घोषणा आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है और आयोग को इस पर रोक लगानी चाहिए."
निर्देश
आयोग ने कहा है कि इस मुद्दे पर विचार करते समय उसने इस बात को ध्यान में रखा है कि केंद्र सरकार ने ये फ़ैसला 22 दिसंबर को आदर्श आचार संहिता लागू होने के दो दिन पहले किया था.
चुनाव आयोग ने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय को निर्देश दिया है कि 22 दिसंबर 2011 के सरकारी आदेश पत्र को पाँच राज्यों गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में प्रभावी न माना जाए, जब तक कि इन राज्यों में चुनावी प्रक्रिया नहीं पूरी हो जाती.
केंद्र सरकार के इस फ़ैसले पर कई राजनीतिक दलों ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि चुनाव तारीख़ों की घोषणा से कुछ दिन पहले की गई ये घोषणा मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है.
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